एस्टॉपेल (Estoppel) का अर्थ और रेस जुडिकाटा (Res Judicata) से अंतर

 

एस्टॉपेल (Estoppel) का अर्थ और रेस जुडिकाटा (Res Judicata) से अंतर



1. एस्टॉपेल (Estoppel) का अर्थ

एस्टॉपेल (Estoppel) एक महत्वपूर्ण कानूनी सिद्धांत है, जिसका अर्थ है कि यदि किसी व्यक्ति ने अपने किसी कथन, कार्य, आचरण, या किसी पूर्व स्थिति के कारण किसी अन्य व्यक्ति को प्रभावित किया है, तो वह बाद में अपने उस कथन या आचरण के विपरीत कार्य नहीं कर सकता। यह न्याय की भावना पर आधारित एक सैद्धांतिक नियम है, जिसका उद्देश्य धोखाधड़ी और अनुचित लाभ को रोकना होता है।

2. एस्टॉपेल की परिभाषा

भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 115 के अनुसार:

"जब कोई व्यक्ति जानबूझकर या अपने आचरण से किसी अन्य व्यक्ति को यह विश्वास दिला देता है कि कोई विशेष तथ्य सत्य है और वह अन्य व्यक्ति इस विश्वास के आधार पर कोई कार्य कर लेता है, तो वह व्यक्ति बाद में इस तथ्य के विपरीत कोई बात कहकर उसे गलत नहीं ठहरा सकता।"

3. एस्टॉपेल का उद्देश्य

  • किसी व्यक्ति को अपने पूर्व कथन से मुकरने से रोकना।
  • किसी भी पक्ष को अनुचित लाभ प्राप्त करने से रोकना।
  • न्यायालय में निष्पक्षता और न्याय को बढ़ावा देना।
  • किसी पक्षकार को भ्रमित या नुकसान पहुंचाने से रोकना।

4. एस्टॉपेल के प्रकार

एस्टॉपेल के विभिन्न प्रकार होते हैं, जो निम्नलिखित हैं:

(क) प्रतिनिधित्व द्वारा एस्टॉपेल (Estoppel by Representation)

जब कोई व्यक्ति अपने शब्दों, कार्यों या आचरण द्वारा किसी अन्य को यह विश्वास दिलाता है कि कोई विशेष स्थिति मौजूद है, और वह व्यक्ति इस विश्वास के आधार पर कार्य करता है, तो पहला व्यक्ति बाद में उस स्थिति का खंडन नहीं कर सकता।

उदाहरण:
यदि A, B को बताता है कि एक संपत्ति उसकी है और B उस संपत्ति को खरीद लेता है, तो A बाद में यह दावा नहीं कर सकता कि संपत्ति उसकी नहीं थी।

(ख) आचरण द्वारा एस्टॉपेल (Estoppel by Conduct)

जब कोई व्यक्ति किसी विशेष आचरण या व्यवहार के आधार पर किसी अन्य व्यक्ति को कोई कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करता है, तो वह बाद में अपने आचरण के विपरीत कोई दावा नहीं कर सकता।

(ग) अनुबंध द्वारा एस्टॉपेल (Estoppel by Agreement)

यदि कोई व्यक्ति किसी समझौते के आधार पर किसी तथ्य को स्वीकार करता है, तो वह भविष्य में इसके विपरीत कोई दावा नहीं कर सकता।

(घ) रिकॉर्ड द्वारा एस्टॉपेल (Estoppel by Record)

जब किसी न्यायालय द्वारा किसी विशेष मामले में निर्णय दिया जाता है, तो वह सभी पक्षकारों पर बाध्यकारी होता है और वे बाद में इसके विपरीत कोई दावा नहीं कर सकते।


रेस जुडिकाटा (Res Judicata) का अर्थ

रेस जुडिकाटा (Res Judicata) लैटिन शब्द है, जिसका अर्थ है "निर्णीत विषय" (a matter already judged)। यह एक कानूनी सिद्धांत है, जो यह सुनिश्चित करता है कि एक ही विवाद पर बार-बार मुकदमा दायर न किया जाए।

भारतीय विधि में, रेस जुडिकाटा का प्रावधान दीवानी प्रक्रिया संहिता, 1908 (Code of Civil Procedure, 1908) की धारा 11 में दिया गया है।

रेस जुडिकाटा की परिभाषा

"यदि किसी विवाद का पहले ही किसी सक्षम न्यायालय द्वारा निर्णय किया जा चुका है, तो वही विवाद एक ही पक्षकारों के बीच किसी अन्य न्यायालय में पुनः विचारणीय नहीं होगा।"

रेस जुडिकाटा का उद्देश्य

  • न्यायिक प्रणाली में स्थिरता और निष्पक्षता बनाए रखना।
  • न्यायालय पर अनावश्यक मुकदमों का बोझ कम करना।
  • एक ही विवाद पर बार-बार मुकदमा दायर करने से रोकना।
  • न्यायिक निर्णयों की अंतिमता सुनिश्चित करना।

रेस जुडिकाटा के तत्व (Essentials of Res Judicata)

  1. मामला समान होना चाहिए – विवाद एक ही मुद्दे पर आधारित होना चाहिए।
  2. पक्षकार समान होने चाहिए – दोनों मामलों में पक्षकार वही होने चाहिए।
  3. मामला किसी सक्षम न्यायालय द्वारा तय किया गया हो – पहले का निर्णय किसी विधि-सम्मत न्यायालय द्वारा दिया गया हो।
  4. मामला अंतिम रूप से तय हुआ हो – यदि मामला अभी भी लंबित है, तो रेस जुडिकाटा लागू नहीं होगी।
  5. निर्णय न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में दिया गया हो – यदि पहले दिया गया निर्णय न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से बाहर था, तो यह बाध्यकारी नहीं होगा।

एस्टॉपेल और रेस जुडिकाटा के बीच अंतर
अंतर का आधार प्रतिषेध (Estoppel) पूर्व निर्णीत विषय (Res Judicata)
परिभाषा प्रतिषेध एक सिद्धांत है जो किसी व्यक्ति को अपने पूर्व कथन या आचरण के विपरीत दावा करने से रोकता है। पूर्व निर्णीत विषय एक कानूनी नियम है जो किसी विवाद को एक बार निर्णय हो जाने के बाद दोबारा मुकदमेबाजी से रोकता है।
कानूनी प्रावधान भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 115 नागरिक प्रक्रिया संहिता, 1908 की धारा 11
लागू होने की स्थिति जब कोई व्यक्ति अपने पूर्व कथन या आचरण के विपरीत कार्य करता है। जब किसी मामले का पहले ही किसी न्यायालय द्वारा निर्णय कर दिया गया हो।
उद्देश्य न्यायालय में धोखाधड़ी और अनुचित लाभ को रोकना। न्यायिक प्रक्रिया में स्थायित्व और निष्पक्षता सुनिश्चित करना।
आवश्यकता यह किसी व्यक्ति के आचरण या कथन पर आधारित होता है। यह पूर्व न्यायिक निर्णय की अंतिमता पर आधारित होता है।
प्रभाव व्यक्ति को अपने पूर्व कथन से इंकार करने से रोका जाता है। एक ही विवाद पर पुनः मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।


निष्कर्ष

एस्टॉपेल और रेस जुडिकाटा दोनों महत्वपूर्ण कानूनी सिद्धांत हैं, लेकिन उनका उद्देश्य अलग-अलग है। एस्टॉपेल एक व्यक्ति को अपने कथन या आचरण से मुकरने से रोकता है, जबकि रेस जुडिकाटा न्यायालयों को एक ही विवाद पर बार-बार मुकदमा चलाने से रोकता है। दोनों का उद्देश्य न्याय और निष्पक्षता सुनिश्चित करना है, लेकिन उनकी प्रकृति और कार्यक्षेत्र अलग-अलग हैं।

ये दोनों सिद्धांत भारतीय न्यायिक प्रणाली में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और कानूनी विवादों को अनावश्यक रूप से लंबा होने से बचाते हैं।

एस्टॉपेल (Estoppel) का अर्थ और रेस जुडिकाटा (Res Judicata) से अंतर एस्टॉपेल (Estoppel) का अर्थ और रेस जुडिकाटा (Res Judicata) से अंतर Reviewed by Dr. Ashish Shrivastava on March 11, 2025 Rating: 5

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