Detailed description of Sharda vs Dharmapala (1978)

 

शारदा बनाम धर्मपाल (1978) का विस्तृत विवरण



1. मामले के तथ्य (Facts of the Case):
यह मामला हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत तलाक से संबंधित था। पति (धर्मपाल) ने पत्नी (शारदा) के खिलाफ यह दावा करते हुए तलाक की याचिका दायर की कि वह मानसिक रूप से अस्वस्थ (insane) है और वैवाहिक जीवन सुचारू रूप से नहीं चला सकती। पति ने विवाह की समाप्ति के लिए अदालत में याचिका दायर की।

2. प्रस्तुत साक्ष्य (Evidence Presented):

  • पति की ओर से साक्ष्य: पति ने यह दावा किया कि पत्नी मानसिक रूप से अस्वस्थ है और वह सामान्य वैवाहिक जीवन निभाने में असमर्थ है। इसके समर्थन में उसने डॉक्टरों की मेडिकल रिपोर्ट भी प्रस्तुत की।
  • पत्नी की ओर से साक्ष्य: पत्नी ने इस आरोप को गलत बताया और अपने मानसिक रूप से स्वस्थ होने का दावा किया। उसने तर्क दिया कि केवल मानसिक बीमारी ही तलाक का आधार नहीं हो सकती, जब तक कि यह इतनी गंभीर न हो कि विवाह को असंभव बना दे।

3. न्यायालय का निर्णय (Court's Decision):

  • सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि केवल मानसिक अस्वस्थता तलाक का आधार नहीं हो सकती, जब तक कि यह इतनी गंभीर न हो कि पति-पत्नी के सामान्य दांपत्य जीवन को असंभव बना दे।
  • मानसिक बीमारी के मामले में न्यायालय को यह देखना होगा कि क्या यह बीमारी इतनी गंभीर है कि याचिकाकर्ता (पति) का जीवन असहनीय बन जाए।
  • चूंकि यह स्पष्ट रूप से सिद्ध नहीं हुआ कि पत्नी इतनी गंभीर मानसिक रूप से अस्वस्थ थी कि पति के साथ सहवास असंभव हो, इसलिए अदालत ने पति की तलाक की याचिका खारिज कर दी।

4. इस फैसले का महत्व (Significance of the Judgment):

  • यह फैसला महत्वपूर्ण था क्योंकि इसने यह स्पष्ट किया कि केवल मानसिक बीमारी तलाक का आधार नहीं बन सकती, जब तक कि वह वैवाहिक जीवन को पूरी तरह से असंभव न बना दे।
  • अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि चिकित्सा प्रमाण और साक्ष्य का सावधानीपूर्वक परीक्षण आवश्यक है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी निर्दोष व्यक्ति को अन्याय का शिकार न बनाया जाए।

निष्कर्ष:

"शारदा बनाम धर्मपाल (1978)" मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मानसिक बीमारी को तलाक के लिए पर्याप्त आधार मानने से इनकार कर दिया, जब तक कि यह गंभीर न हो। इस फैसले ने भारतीय विवाह कानून में यह महत्वपूर्ण सिद्धांत स्थापित किया कि विवाह को समाप्त करने के लिए मानसिक अस्वस्थता की सीमा और प्रभाव को ध्यान में रखना आवश्यक है।

Detailed description of Sharda vs Dharmapala (1978) Detailed description of Sharda vs Dharmapala (1978) Reviewed by Dr. Ashish Shrivastava on February 16, 2025 Rating: 5

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