लीडिंग क्वेश्चन (Leading Question) – एक विस्तृत विश्लेषण
🔍 प्रस्तावना
न्यायिक प्रक्रिया में सवालों की अहमियत बहुत ज़्यादा होती है। किसी गवाह से सही उत्तर प्राप्त करने के लिए सही सवाल पूछना ज़रूरी होता है। लेकिन क्या होगा अगर सवाल इस तरह से पूछा जाए कि उसका उत्तर पहले से ही तय हो? ऐसे सवालों को लीडिंग क्वेश्चन (Leading Question) कहा जाता है। यह एक ऐसी तकनीक है जो न्यायालय में गवाह की गवाही को प्रभावित कर सकती है।
इस लेख में, हम लीडिंग क्वेश्चन क्या होते हैं, यह न्याय प्रक्रिया में कैसे काम करते हैं, इसके कानूनी प्रावधान क्या हैं, और कब इनका प्रयोग किया जा सकता है, इन सभी पहलुओं को विस्तार से समझेंगे।
📌 लीडिंग क्वेश्चन क्या है? (What is a Leading Question?)
लीडिंग क्वेश्चन वह प्रश्न होते हैं जिनमें उत्तर का संकेत पहले से ही मौजूद होता है। ये सवाल इस प्रकार बनाए जाते हैं कि उत्तर हां या ना में दिया जा सके।
🔹 सामान्य प्रश्न: "आपने आरोपी को घटना स्थल पर देखा था?"
🔹 लीडिंग प्रश्न: "आपने आरोपी को चाकू हाथ में लिए घटना स्थल पर देखा था, है न?"
दूसरे प्रश्न में उत्तर का संकेत पहले से ही दिया गया है, जिससे गवाह प्रभावित हो सकता है।
🎯 विशेषताएँ:
✔ पहले से उत्तर का संकेत देता है।
✔ गवाह की स्वतंत्र राय को प्रभावित कर सकता है।
✔ आमतौर पर "हां" या "ना" में उत्तर पाने के लिए तैयार किया जाता है।
✔ जिरह (Cross-Examination) के दौरान उपयोग किया जाता है।
⚖️ भारतीय साक्ष्य अधिनियम और लीडिंग क्वेश्चन (Indian Evidence Act & Leading Questions)
📝 धारा 141 – लीडिंग क्वेश्चन की परिभाषा
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 141 में लीडिंग क्वेश्चन को परिभाषित किया गया है:
"ऐसा प्रश्न जो गवाह को एक विशेष उत्तर देने के लिए प्रेरित करता है।"
📝 धारा 142 – लीडिंग क्वेश्चन कब पूछे जा सकते हैं?
मुख्य परीक्षण (Examination-in-Chief) और पुनः परीक्षण (Re-Examination) के दौरान लीडिंग प्रश्न पूछने की अनुमति नहीं होती, जब तक कि न्यायालय इसकी स्वीकृति न दे।
📝 धारा 143 – प्रतिपरीक्षा (Cross-Examination) में लीडिंग प्रश्न की अनुमति
अगर गवाह से जिरह की जा रही है (Cross-Examination), तो लीडिंग क्वेश्चन पूछे जा सकते हैं।
👉 सरल शब्दों में:
✔ मुख्य गवाही (Examination-in-Chief) में लीडिंग प्रश्न की मनाही होती है।
✔ प्रतिपरीक्षा (Cross-Examination) में लीडिंग प्रश्न की अनुमति होती है।
✔ न्यायालय परिस्थितियों को देखकर मुख्य परीक्षण में भी लीडिंग प्रश्न की अनुमति दे सकता है।
📌 लीडिंग क्वेश्चन के प्रकार
लीडिंग प्रश्नों को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जा सकता है:
1️⃣ प्रत्यक्ष रूप से लीडिंग क्वेश्चन
जब प्रश्न के माध्यम से उत्तर पहले से ही तय कर दिया जाता है।
🔹 उदाहरण:
✔ "आपने आरोपी को वारदात करते देखा, है ना?"
✔ "घटना के समय आप वहीं मौजूद थे, है ना?"
2️⃣ अप्रत्यक्ष रूप से लीडिंग क्वेश्चन
जब प्रश्न गवाह को किसी विशेष दिशा में सोचने के लिए प्रेरित करता है।
🔹 उदाहरण:
✔ "क्या आप पुष्टि कर सकते हैं कि यह घटना रात 10 बजे हुई थी?"
✔ "क्या यह सही है कि आरोपी ने पहले धमकी दी थी?"
🔎 लीडिंग क्वेश्चन का उपयोग कब किया जाता है?
1️⃣ जब गवाह अनिच्छुक या शत्रुतापूर्ण हो (Hostile Witness)
अगर गवाह झूठ बोल रहा हो या गलत जानकारी दे रहा हो, तो कोर्ट लीडिंग क्वेश्चन की अनुमति दे सकता है।
2️⃣ जब गवाह को कोई खास जानकारी याद न हो
अगर गवाह कोई विशेष घटना भूल गया हो, तो न्यायालय लीडिंग प्रश्नों की अनुमति दे सकता है ताकि गवाह को सही जानकारी याद आ सके।
3️⃣ जब कोर्ट को लगता है कि गवाह भ्रमित हो सकता है
कुछ मामलों में, जज यह मान सकता है कि बिना लीडिंग प्रश्न के सच्चाई सामने नहीं आएगी।
📌 लीडिंग क्वेश्चन से संबंधित महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय
1️⃣ बालूभाई पटेल बनाम गुजरात राज्य (1962)
इस केस में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लीडिंग प्रश्नों को मुख्य परीक्षण के दौरान तभी अनुमति दी जानी चाहिए, जब न्यायालय को लगे कि यह न्याय के हित में है।
2️⃣ सतपाल बनाम दिल्ली प्रशासन (1975)
कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि प्रतिपरीक्षा में लीडिंग प्रश्न पूछना पूरी तरह वैध है और इसका उद्देश्य गवाह की विश्वसनीयता की जांच करना होता है।
3️⃣ एन.सी. गुप्ता बनाम स्टेट ऑफ़ महाराष्ट्र (2001)
इस फैसले में कहा गया कि अगर कोई गवाह भ्रमित है या झूठ बोल रहा है, तो न्यायालय उसकी विश्वसनीयता की जांच के लिए लीडिंग क्वेश्चन की अनुमति दे सकता है।
📝 लीडिंग क्वेश्चन के फायदे और नुकसान
✅ फायदे:
✔ सच्चाई का पता लगाने में सहायक – अगर गवाह झूठ बोल रहा हो तो इससे सच्चाई सामने आ सकती है।
✔ गवाह की स्मरण शक्ति को बढ़ाने में मदद – कभी-कभी लीडिंग प्रश्न गवाह को घटना याद दिलाने में मदद कर सकते हैं।
✔ जिरह (Cross-Examination) को प्रभावी बनाते हैं – किसी गवाह की सच्चाई को उजागर करने में सहायक।
❌ नुकसान:
❌ गवाह की गवाही को प्रभावित कर सकते हैं – लीडिंग प्रश्नों के कारण गवाह अपनी वास्तविक गवाही से हट सकता है।
❌ गलत दिशा में निर्णय ले जाने का खतरा – अगर गवाह को प्रभावित किया जाए, तो अदालत का निर्णय गलत हो सकता है।
❌ न्याय प्रक्रिया पर नकारात्मक प्रभाव – गलत ढंग से इस्तेमाल किए गए लीडिंग प्रश्न न्याय के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
🏁 निष्कर्ष (Conclusion)
लीडिंग क्वेश्चन न्यायिक प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। हालांकि, इनका सही समय और सही तरीके से प्रयोग किया जाना चाहिए। भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 141, 142 और 143 इस विषय पर स्पष्ट दिशानिर्देश देती हैं।
✔ मुख्य परीक्षण में लीडिंग प्रश्नों की अनुमति नहीं होती (जब तक न्यायालय स्वीकृति न दे)।
✔ प्रतिपरीक्षा में लीडिंग प्रश्न पूरी तरह से वैध होते हैं।
✔ अगर गवाह झूठ बोल रहा हो या भ्रमित हो, तो न्यायालय लीडिंग प्रश्नों की अनुमति दे सकता है।
👉 अगला कदम (Call to Action)
📌 अगर आप भारतीय साक्ष्य अधिनियम पर अधिक जानकारी चाहते हैं, तो हमारी वेबसाइट पर और लेख पढ़ें।
📥 नीचे दिए गए लिंक से भारतीय साक्ष्य अधिनियम की पूरी PDF डाउनलोड करें।
📢 क्या आपको यह लेख उपयोगी लगा? अपने विचार हमें कमेंट में बताएं!
Reviewed by Dr. Ashish Shrivastava
on
February 27, 2025
Rating:
.webp)
No comments: